मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

दर्दों की लहरों के बीच---पथिकअनजाना -478 वीं पोस्ट





छलकते आंसू व चीखती हुई दर्दों की लहरों के बीच
फंसे इंसान को सकून भरा साहिल मिला जा कहाँ
जिसे मानकर मंजिल लडते रहे हैं ताउम्र वह यार
गमों दर्दों का खिलखिलाता मिला आशियाँ उसे वहाँ
ए  नसीब वालों न भेजे अपने होनहारों को करीब
जिधर रूके, बदनसीबी मिल उस से हैं खेलती वहाँ
पल्ले धन न था यारों को यारी टूटने का गम न था
कल्पित चरित्र  रख सचेत किया मित्रों की शान को
विगत सुकर्मों से हासिल ताज को संभाले व मान को
आश्रित साथ ले सकून खोजता है यहाँ बहरों के बीच
छलकते आंसू व चीखती हुई दर्दों की लहरों के बीच

 पथिक अनजाना
http://pathic64.blogspot.com

      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें