चन्द माहिया :क़िस्त 42
:1:
दो चार क़दम चल कर
छोड़ तो ना दोगे ?
सपना बन कर ,छल कर
:2:
जब तुम ही नहीं हमदम
सांसे भी कब तक
अब देगी साथ ,सनम !
:3:
जज्बात की सच्चाई
नापोगे कैसे ?
इस दिल की गहराई
:4;
सबसे है रज़ामन्दी
सबसे मिलते हो
बस मुझ पर पाबन्दी
:5:
क्या और तवाफ़ करूँ
इतना ही जाना
मन को भी साफ़ करूँ
-आनन्द.पाठक-
08800927181
शब्दार्थ
तवाफ़ = परिक्रमा करना
:1:
दो चार क़दम चल कर
छोड़ तो ना दोगे ?
सपना बन कर ,छल कर
:2:
जब तुम ही नहीं हमदम
सांसे भी कब तक
अब देगी साथ ,सनम !
:3:
जज्बात की सच्चाई
नापोगे कैसे ?
इस दिल की गहराई
:4;
सबसे है रज़ामन्दी
सबसे मिलते हो
बस मुझ पर पाबन्दी
:5:
क्या और तवाफ़ करूँ
इतना ही जाना
मन को भी साफ़ करूँ
-आनन्द.पाठक-
08800927181
शब्दार्थ
तवाफ़ = परिक्रमा करना