tag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post4853656443965540763..comments2024-03-20T18:53:05.516+05:30Comments on आपका ब्लॉग: दोहावलीडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-19440240628847908882013-10-18T14:43:46.762+05:302013-10-18T14:43:46.762+05:30सुन्दर दोहावली, मजा आ गया।
सुन्दर दोहावली, मजा आ गया।<br /><br />Ramesh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02901909737492341929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-32164907262791562792013-10-16T21:40:23.862+05:302013-10-16T21:40:23.862+05:30अपने भाव के अनुरूप आपके सलाह पर संशोधन कर रहा हू। ...अपने भाव के अनुरूप आपके सलाह पर संशोधन कर रहा हू। ध्यान दिलाने के सादर साधुवाद । सादरRamesh kumar chauhanhttps://www.blogger.com/profile/00086481509183214047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-176361043445891132013-10-16T11:31:54.767+05:302013-10-16T11:31:54.767+05:30सही कहा शर्माजी ने .....देखिये... वास्तव में १३-११...सही कहा शर्माजी ने .....देखिये... वास्तव में १३-११ मात्रा के अतिरिक्त दोहे के ..दुकल, चौकल आदि नियम भी होते हैं ..जिन्हें जानना अत्यावश्यक नहीं है ....परन्तु यदि गेयता का ध्यान रखा जाय तो ये स्वतः ही आजाते हैं ...कुछ उदाहरण देखिये ..इन्हीं दोहों में ...सिर्फ शब्दों के स्थान व स्थिति परिवर्तन से प्रवाह आजाता है....<br /><br />ठहर न इस ठांव मनुवा, जाना दूसरे ठांव (=१२ मात्राएँ) । = मनुवा ठहर न अब यहाँ, चलो दूसरे ठांव |<br />मिटे जहां ठाठ मनुवा, मिलते शीतल छांव ।। = ठाठ मिटे मनुवा जहाँ, मिलती शीतल छाँव |<br /><br />तुम तो हो पथिक मनुवा, = तुम तो हो मनुवा पथिक ...<br /><br />क्या ले जायेगा साथ = ले जाएगा साथ क्या.....<br /><br />अपने ही सुख दुख भांति = सुख दुःख अपने भाँति ही, shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-82129098203544021842013-10-15T23:06:14.103+05:302013-10-15T23:06:14.103+05:30आभार भाई आपकी इस सहृदयता का ब्लॉग जगत में कई भाई ह...आभार भाई आपकी इस सहृदयता का ब्लॉग जगत में कई भाई हमसे रुसवा हैं इसी लाने(कारण )। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-38645472102210370862013-10-15T23:02:54.714+05:302013-10-15T23:02:54.714+05:30बहुत सुंदर दोहेबहुत सुंदर दोहेसु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-17581364366373920222013-10-15T21:58:25.285+05:302013-10-15T21:58:25.285+05:30आदरणीय शर्माजी आपके सार्थक सुझाव पर अमल करते हुये ...आदरणीय शर्माजी आपके सार्थक सुझाव पर अमल करते हुये आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ । सादर<br /><br /><br />Ramesh kumar chauhanhttps://www.blogger.com/profile/00086481509183214047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-42132393970585132382013-10-15T18:07:24.986+05:302013-10-15T18:07:24.986+05:30मन को "शीतल "करती प्रस्तुति। सुन्दर भाव ...मन को "शीतल "करती प्रस्तुति। सुन्दर भाव और अर्थ। वर्तनी ठीक कर लें असर बढ़ जाएगा दोहावली का। आभार। <br /><br />(कर्मों ,प्राणि ,शीतल ,हैं )<br /><br />कर्मो (कर्मों )की ही पोटली, आते है (हैं )जहां काम ।।<br /><br /><br />मिटे जहां ठाठ मनुवा, जहां हैं शितल (शीतल )छांव ।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-61883588182429769232013-10-15T13:04:54.244+05:302013-10-15T13:04:54.244+05:30बहुत सुन्दर दोहे
अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!बहुत सुन्दर दोहे <br />अभी अभी <a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/10/blog-post_13.html#links" rel="nofollow"> महिषासुर बध (भाग -१ )!</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.com