tag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post8824086885346455754..comments2024-03-20T18:53:05.516+05:30Comments on आपका ब्लॉग: बादलों की मेहरबानीडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6034667824449341577.post-64135039499955214402013-12-01T07:16:54.871+05:302013-12-01T07:16:54.871+05:30बर्फ पिघली और दरिया की रवानी हो गयी।
तुम मिले तो ज...बर्फ पिघली और दरिया की रवानी हो गयी।<br />तुम मिले तो जिन्दगानी, जिन्दगानी हो गयी।।<br />ढीठ झोके ने हवा से छू लिया उसका बदन।<br />शर्म से इक शोख नदिया पानी-पानी हो गयी।।<br />खाक करने पर तुली थी धूप फसलों को मगर।<br />वे तो कहिये बादलों की मेहरबानी हो गयी।।<br />दिल की बस्ती में तो जख्मों का बसेरा हो गया।<br />आंख मेरी आंसुओं की राजधानी हो गयी।।<br />कल सियासत कह रही थी दल न बदलेंगे कभी।<br />ये तवायफ कब से आखिर स्वाभिमानी हो गयी।।<br /><br />क्यों तवायफ कहके इनको रात दिन करते बदनाम ,<br /><br />राजनीतिक धंधे बाज़ों से बहुत ऊपर है इनका नाम ,<br /><br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति भाई रमेश जी पांडे। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com