आज का आदमीघूमता रहता है गोल-गोलजैसे दौड़ती रहती हैसेकण्ड की सुईंघड़ी के वक्ष पर रात-दिन.
बहुत खूब बहुत खूब बहुत खूब -नेताओं की तरह कुत्ताया हुआ है आदमी।आदमी को दुलत्ती मारता है आदमी।ॐ शान्ति। बढ़िया सशक्त रचना।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (04-08-2013) के दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ : चर्चा मंच 1327 में मयंक का कोना पर भी है!सादर...!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह बहुत खूब कहा .....आज का आदमीघूमता रहता है गोल-गोलजैसे दौड़ती रहती हैसेकण्ड की सुईंघड़ी के वक्ष पर रात-दिन.|
आज का आदमी
जवाब देंहटाएंघूमता रहता है गोल-गोल
जैसे दौड़ती रहती है
सेकण्ड की सुईं
घड़ी के वक्ष पर
रात-दिन.
बहुत खूब बहुत खूब बहुत खूब -नेताओं की तरह कुत्ताया हुआ है आदमी।आदमी को दुलत्ती मारता है आदमी।ॐ शान्ति। बढ़िया सशक्त रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (04-08-2013) के दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ : चर्चा मंच 1327
में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह बहुत खूब कहा .....आज का आदमी
जवाब देंहटाएंघूमता रहता है गोल-गोल
जैसे दौड़ती रहती है
सेकण्ड की सुईं
घड़ी के वक्ष पर
रात-दिन.|