गुरुवार, 1 अगस्त 2013

बहुत मुश्किल

अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल

  
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल ..

कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की
बातों को है कह पाना बहुत मुश्किल

ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल

कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल


 

मदन मोहन सक्सेना

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति ! बहुत खूब !

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.

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  2. कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
    क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल .---
    ग़ज़ल के सभी शेर बहुत उम्दा है
    latest post,नेताजी कहीन है।
    latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.

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  3. उत्तर
    1. आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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  4. आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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