रविवार, 29 सितंबर 2013

हाल—ए—संस्थान

आलसियों की दुनिया में
मेहनतकशों का हाल बेहाल है 

अनुशासन के नाम पर 
बस कुशासन सवार है
बेतूकी पाबंदियों की 
हर समय लटकी तलवार है

फिल्मी सप्ताह की तरह 
रोज़ नये तमाशों की बौछार है 
सोमवार से रविवार लगता 
सिर्फ फिल्मी शुक्रवार है 

एक ही सवाल पर
रोज होता बवाल है
जिसको देखों बस 
खुद पर अहंकार है 

आलसियों की दुनिया में
मेहनतकशों का हाल बेहाल है 

3 टिप्‍पणियां: