गुरुवार, 5 सितंबर 2013

ज़न्नत की हकीकत....अंकल सैमकी गाथा कथा, आधुनिक बैकुंठ ....डा श्याम गुप्त


ज़न्नत की हकीकत....अंकल सैमकी गाथा कथा, आधुनिक बैकुंठ ....डा श्याम गुप्त

                         ज़न्नत की हकीकत वयां करती अंकल सैम की गाथा कथा  .... आज के हमारे तथाकथित आधुनिक समाज की वस्तुस्थिति को व्याख्यायित करती वरिष्ठ कवि श्री रमेश  जोशी की एक सुन्दर कविता....आधुनिक बैकुंठ....गर्भनाल पत्रिका के नवीनतम अंक .सितम्बर २०१३ .के सौजन्य से यहाँ  प्रस्तुत है , मुझे कविता बहुत सामयिक एवं समीचीन प्रतीत हुई अतः पुनर्प्रसारित करना अच्छा लगा....यद्यपि कविता में समस्या का सम्पूर्ण सांगोपांग वर्णन है और  समाधान की स्पष्ट दिशा प्रतीत नहीं होती परन्तु काव्य-भाव में ओत-प्रोत, समाधान की मूल दिशा 'स्व-इतिहास, स्व-संस्कृति की स्वीकृति' निश्चित ही निर्दिष्ट होती है.... आपके विचार आमंत्रित हैं.........
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1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    गुरूजनों को नमन करते हुए..शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ।
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (06-09-2013) के सुबह सुबह तुम जागती हो: चर्चा मंच 1361 ....शुक्रवारीय अंक.... में मयंक का कोना पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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