गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

आँख के अंधे नाम नैन सुख सावन के अंधे को हरा ही हरा दीखे है।

मान्यवर के बी रस्तोगी साहब। जहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती वहाँ कुतर्क काम करता है। सभी कांग्रेसियों की मुद्रा आपको यकसां 

मिलेगी -ये किस खेत की मूली हैं। 




ये सारे सेकुलरिस्ट हैं। कबीर ने अपने वक्त में पाखंडियों और ढोंग करने वालों पर जमकर प्रहार किया था। आज की भारत की 

राजनीति में सबसे बड़ा पाखंड है सेकुलरिजम। नीतिश  कुमार भी इसी का झंडा उठाये हैं शालिनी जी भी।तर्क का इनके लिए कोई 

मतलब नहीं है।  

कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -

दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,

सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय। 

दिन में चारा खात  हैं ,रात में कोयला खाएं ,

सेकुलर खोजन मैं गया सेकुलर मिला न हाय। 

बाज़ीगर भोपाल का ,रटता सेकुलर जाए ,

सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय। 

ओसामा -ओसामा- जी ,सेकुलर कहता जाए ,

सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न कोय। 

बाज़ीगर भोपाल का, घाट -घाट  पे जाए ,

सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय। 

जल समाधि दे दीनी ,सेकुलर करता हाय ,

सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय। 

कब्र कहीं गर बन जाती ,बाज़ीगर मर जाए ,

सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय। 

एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :


बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .


बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .





.यूँ तो यहाँ बिहार में जो हुआ आतंकवाद के कारण हुआ किन्तु आतंकवादी घटनाओं के पीछे भी एक सच छुपा है और वह यह है कि इन्हें कोई देश में मिलकर ही अंजाम दिलवाता है और ऐसा क्यूँ है कि भाजपा का जबसे नितीश से अलगाव हुआ है तभी से बिहार भाजपा के लिए खतरनाक हो गया है और जब भी भाजपा वहाँ कदम रखती है तभी वहाँ कुछ न कुछ आतंकवादी घटना घट जाती है .
नितीश कुमार वहाँ शासन कर रहे हैं और ये स्वाभाविक है कि वहाँ कोई भी ऐसी घटना होगी तो उसमे उनकी सरकार की लापरवाही ही कही जायेगी और भाजपा और नितीश के सम्बन्ध अभी हाल ही में मोदी के कारण अलगाव पथ पर अग्रसर हुए हैं ऐसे में नितीश को लेकर भाजपा की रैलियों पर हमलों को लेकर टिपण्णी किया जाना एक तरह से सम्भाव्य है किन्तु सही नहीं क्योंकि कोई भी मुख्यमंत्री ये नहीं चाहेगा कि उसके राज्य में शासन व्यवस्था पर ऐसा कलंक लगे जो आगे उसके सत्ता में आने के सभी रास्ते बंद कर दे और कांग्रेस को तो ऐसे में घसीटा जाना एक आदत सी बन गयी है और जैसे कि पंजाबी में एक कहावत है कि -
''वादड़िया सुजा दड़िया जप शरीरा नाल .''
तो ये तो वह आदत है जो कि शरीर के साथ ही जायेगी क्योंकि कांग्रेस आरम्भ से इस देश पर शासन कर रही है और सत्ता का विरोध होता ही है किन्तु एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस ने देश के लिए बहुत कुछ खोया भी है आजतक इसके बड़े बड़े नेता आतंकवाद का शिकार हुए हैं ऐसे तथ्य अन्य दलों के साथ कम ही हैं क्योंकि वे जनता में इतने लोकप्रिय नही हैं कि आतंकवादियों की हिट लिस्ट में उन्हें स्थान मिले और इसका अगर लाभ कांग्रेस को मिला है तो उसने इंदिरा गांधी ,राजीव गांधी जैसे भारत रत्नों को खोया भी है इसलिए आतंकवाद की किसी भी घटना के लिए कांग्रेस को दोषी कहा जाना नितान्त गलत कार्य है .
सिर्फ यही नहीं कि भारत ने आतंकवादी घटना में अपने बड़े नेताओं को खोया है बल्कि श्रीलंका ,पाकिस्तान और विश्व के बहुत से देशों ने अपने बड़े नेताओं को ऐसी घटनाओं का शिकार बनते देखा है ऐसे में ये आश्चर्य की ही बात है कि बार बार आतंकवादी हमले भाजपा के कथित फायर ब्रांड नेताओं पर होते हैं और वे खरोंच तक का शिकार नहीं होते .आखिर आतंकवादी इनसे मात कैसे खा जाते हैं ?ये तथ्य तो इन्हें सभी के साथ साझा करना ही चाहिए क्योंकि आज न केवल ये बल्कि सभी सत्ता के भूखे हैं -
''भ्रष्ट राजनीति हुई ,चौपट हुआ समाज ,
हर वानर को चाहिए किष्किन्धा का राज .''
तो फिर ये ही क्यूँ बचे ये हक़ तो सभी को मिलना चाहिए और देश प्रेमी व् राष्ट्रवादी इस पार्टी को अपना यह कर्त्तव्य पूरी श्रृद्धा से निभाना चाहिए .और अगर ये यह नहीं कर पते हैं तो कानून में जब भी किसी क़त्ल में कातिल न मिल रहा हो तो उसे ढूंढने के लिए उस व्यक्ति पर ही शक किया जाता है जिसे उस क़त्ल से सर्वाधिक फायदा होता है और यहाँ इस हमले का एकमात्र फायदा भाजपा को ही हो रहा है जनता की सहानुभूति बटोरने को लेकर तो शक की ऊँगली किधर जायेगी आप स्वयं आकलन कर सकते हैं .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

प्रस्तुतकर्ता पर  5 टिप्‍पणियां: 


ब्लॉगर Kb Rastogi ने कहा…
कई बार सोंचता हूँ कि लोग कैसे कुछ राजनेताओ के बरगलाने पर उन्ही कि तरह सोंचने लगते हैं। क्या फायदा ऐसी पढाई -लिखाई का कि हम अपने दिमाग से सही ढंग से सोंच नहीं पाते हैं कि इसमें गलत क्या है और सही क्या है। जब कभी भी कहीं भी कोई आतंकी घटना होती है या हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष होता है चाहे वह कांग्रेस हो या दूसरी पार्टी हो तुरंत ही उनकी प्रतिक्रिया बीजेपी के खिलाफ आनी शुरू ही जाती है।
समझ में नहीं आता है कि आप जैसे पढ़े - लिखे लोग भी इन्ही लोगो कि हाँ में हाँ मिलाने क्यों लगते हैं।
अगर आप कहती है कि यह सब बीजेपी करवा रही है तो आप वहाँ पर हाथ पर हाथ धरे बैठे क्या कर रहे हैं।
क्या इस बात का इंतजार करते रहते हैं कि वारदात हों और हैम बीजेपी पर दोषारोपण करना शुरू कर दे।
मुख्यमंत्री राज्य का मुखिया होता है अगर वह इनपर काबू नहीं पा सकता तो छोड़ दे गद्दी। क्या बीजेपी के खिलाफ झूठा प्रलाप काने के लिए सत्ता का सुख भोग रहे हैं।
29 अक्तूबर 2013 11:47 pm
आँख के अंधे नाम नैन सुख 

सावन के अंधे को हरा ही हरा दीखे है। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार भाई जी-

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (01-11-2013) ना तुम, ना हम-(चर्चा मंचः अंक -1416) "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    धनतेरस (धन्वन्तरी महाराज की जयन्ती) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. शुक्रिया शास्त्री जी रविकर जी ,आपकी पीठ थप -थपाई का,

    हौसला अफ़ज़ाई का ,चर्चा मंच बिठाई का।

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  4. शालिनी जी ऐसा लगता है नितीश कुमार जी को अपने छवि की चिंता उतनी नहीं है जितनी आपको है। अगर उन्हें होती तो मोदी की रैली की सुरक्षा करते आतंकी पटना स्टेशन से विस्फोट की शुरुआत करते करते रैली स्थल तक न आ धमकते। और नितीश ये न गिनते मोदी ने रैली के दौरान कितनी बार पसीना पौंछा।

    अलावा इसके एक भी बार उन्होंने आतंकियों को पकड़ने की दहाड़ नहीं लगाईं। अब तो कई ऊँगली उनकी तरफ भी उठने लगी हैं।

    आप के लिए इतना ही -इंसानियत का भी एक धर्म होता है एक तर्क इंसानियत का भी होता है उसे केंद्र में रखके वकालत करो। सफलता आपके कदम चूमेगी। तर्क को खूंटे पे टाँगके वकालत मत करो कोंग्रेस की और उसके सेकुलर हिमायतियों की।

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