गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013

भावनात्मक भाषण की मजबूरी

भावनात्मक भाषण की मजबूरी


गरीवी समस्या नहीं है बल्कि मानसिक बीमारी है
कोई इज्ज़त की बात नहीं करता है
हमारे पास छुपाने को कुछ नहीं है
मेरी दादी पिता को मार दिया
मुझे भी मार देंगें ,किन्तु मुझे डर नहीं है
ये कुछ बाक्य  हैं
जिसे हम आप अक्सर आये दिन मीडिया के माध्यम से सुनते रहते हैं
जनता सुनना चाहती हैं
कीमत नियंत्रित कैसे रहें ,इसके लिए क्या करेंगें
समाज की बेटियाँ
दरिंदों से कैसे सुरक्षित रहेंगी ,इसका क्या इंतजाम किया है
देश की सुरक्षा में लगे जबान की जिंदगी की अहमियत
कब हमें समझ आएगी
पारदर्शी प्रशासन की बात असल में
कब साकार होगी
भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए सख्त कानून कब बनेगा या नहीं भी
नेता ,ब्यापारी और संतों का गठजोड़ कभी ख़त्म होगा भी या नहीं
पाँच ,दस और पैतीस रुपये में गुजारा करने बाले आम लोग
सौ रुपये कीमत बाली प्याज कब तक
खरीदने को मजबूर रहेंगें।
युबा को राजनीती में आने की बात करने बाले
क्या ये भी बतायेंगें कि
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में अधिकतर बुजुर्गों की संख्या
किस बजह से है।
युबा की बेहतरी के लिए क्या क्या योजना है।
देश की अबाम जानना चाहती है।


प्रस्तुति :

मदन मोहन सक्सेना


6 टिप्‍पणियां:


  1. वाह मदन मोहन जी वाह !ये भोपाली मदारी जो भी इस मंद बुद्धि को रट़ा देता है ये बाजू चढ़ाके बोल देता है। न जाने कौन जन्म की दुश्मनी निकाल रहा है ये (पिग्गी बाजा )गांधी परिवार से।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (25-10-2013)
    ऐसे ही रहना तुम (चर्चा मंचः अंक -1409) में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. कानी यह सरकार है, अंधी वह सरकार |
    आइ-यस आइ पाक का, राहुल क्या उपचार |

    राहुल क्या उपचार, मुजफ्फर-नगर बहाना -
    सीमा पर भी क़त्ल, वार्ता कर बहलाना |

    मुस्लिम दंगा-ग्रस्त, बनेंगे पाकिस्तानी |
    राज बके युवराज, बात लगती बचकानी ||

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  4. जबाव मागते सवाल .....सिर्फ सवाल जबाव कुछ भी नहीं......आभार

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