शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

कोई तो राह दो

दीप जलते रहें, जगमगाते रहें।
आप यूं ही सदा मुस्कराते रहें।।
दूर अज्ञान हो, इस धरा से प्रभु।
ऐसा वरदान दो, ऐसा वरदान दो।।
घोर काली घटा से घिरा है गगन।
कोई तो राह दो, कोई तो राह दो।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (27-10-2013)
    जिंदगी : चर्चा अंक -1411 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद, आभार

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. वीरेन्द्र जी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद

      हटाएं
  3. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

    जवाब देंहटाएं
  4. सुषमा जी, प्रतिक्रिया के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं