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कुछ दोहे
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यह “आपका ब्लॉग” है, अपना समझो मित्र।
अन्य ब्लॉग के लिंक का, यहाँ न छिड़को इत्र।।
जिसको साझा कर लिया, करो उसे स्वीकार।
सौतेला सा मत करो, उससे तुम
व्यव्हार।।
कहलायेगी आपकी, पोस्ट आपका नाम।
एक पोस्ट को सब जगह, देते क्यों आयाम।।
क्षमता का कर आकलन, शक्ति का उपयोग।
पुनरावृत्ति देख कर, हँसी उड़ाते लोग।।
टिप्पणियों के वास्ते, लिखना मत साहित्य।
चलती है वो लेखनी, जिसमें हो लालित्य।।
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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:) सुंदर !
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सटीक दोहे .......
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