शनिवार, 28 दिसंबर 2013

दुनिया का नायाब जीव पथिक अनजाना ४३३ वीं पोस्ट




           दुनिया  का नायाब  जीव    ४३३

देखता प्रकृति कमाल क्या
नायाब जीव बनाया इंसान
मजाक नही हो गंभीर हैरां हुंआ मान गया इंसान को
न समझ सका मैं मूढ कि यह किस श्राप की उपज हैं
इसी को कर केन्द्रित रची सारी पाप पुण्य की दुनियाहैं
इसां के पाप पुण्यों के कारण युगों से यहाँ जंग जारी हैं
अनेकों रूप अनेकों चमत्कार दिखाये इंसा बाज न आये
दुविधायें दूर करने के बावजूद, सुविधायें मुहैया बावजूद
कोशिशें लाख अथक प्रयास स्थायी रूपेण गंगा लाई गई
न ललचाया, डगमगाया न भला समझा अपना न सोचा
सदैव बैठता गोद में शैतान की जो उसको भाये सुखाये
असफल प्रयास खुदा के इंसा को खुदापरस्त न बना सके
इंसान प्रयासरत हैं खुदा को परास्त करने हेतू सृष्टि में
अति के इंतजार में हम भी किन्तु कोशिश नये सेतू हेतू
पथिक अनजाना

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