शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

न्यूरो -ट्रांस -मीटर्स (जैविक रसायन )को प्रभावित करते हैं खाद्य। मिज़ाज़ को भी। पूअर फूड्स मूड स्विंग्स की वजह बन सकते हैं.

सेहत 

(१)तरकारियाँ खाइये थोड़ा सा मख्खन लगाके। सैलड ड्रेसिंग्स (ओलिव्स 

आयल युक्त )से सनी तरकारियों से ज्यादा पुष्टिकर तत्व शरीर को प्राप्त 

होंगें। 

(२)रस्सा कूद खेलिए (TRY SKIPPING .IT IS A GREAT 

ALTERNATIVE TO YOUR USUAL AEROBIC 

WORKOUT.).ऑक्सीजन की ज्यादा खपत  करने वाला बढ़िया 

 व्यायाम है रस्सा कूद।दिल के टॉनिक।  

(३) अंगूर के बीजों का सत प्रोस्टेट कैंसर कोशाओं  का काल बन सकता है। 

इसमें एक जैविक घटक है B2G2 यही यमराज बन जाता है कैंसर से 

असरगरस्त प्रोस्टेट कैन्सर कोशाओं के लिए। 

GRAPE SEED EXTARCT KILLS CANCER 

The most biologically active component of grape seed extract 

,B2G2 ,can induce cell death known as apoptosis in prostate 

cancer cells while leaving healthy cells unharmed .


YOU ARE WHAT YOU EAT 

ताज़े फल और तरकारियों में सीताफल (कद्दू 

,PUMPKIN )ज़िंक और विटामिन -E ,आम 

विटामिन 

-A और विटामिन -C का बढ़िया स्रोत है। सीताफल एंटी 

 -ऑक्सीडेंट मुहैया करवा के  बीमारियों से हमारी 

हिफाज़त करता 

है आम खून में  चर्बी  कम करने में सहायता करता है 

चमड़ी 

का यार है। स्वस्थ रखता है चमड़ी को। 

आपकी सेहत और शख्शियत दोनों पर अपना असर 

रखता है आपका खान पान। आप हंस मुख दिखना 

रहना चाहते हैं या गुस्सेल। कितना प्यार करते हैं आप 

खुद से ?

फ़ूड केमिस्ट्री निर्धारित करती है विनियमन करती है 

आपके शरीर में बनने वाले हार्मोनों रासायनिक 

क्रियाओं 

का। एक तरफ स्वास्थ्य वर्धक चिकनाई है रेशे हैं। 

ज़िंक 

सेलीनियम ,मूंगफली और मच्छी जैसे खादय हैं जो 

दिमाग के लिए मुफीद रहतें हैं आपको दमखम स्फूर्ति 

प्रदान करते हैं सकारात्मक बनाये रखते हैं आपकी सोच 

को दूसरी तरफ संसाधित खाद्य हैं (डिब्बा बंद बासा 

खाद्य ),जिनमें गुप्त रूप से शक्कर और नमक भी 

ज़रुरत से ज्यादा चले आते हैं। सुस्त बनाते हैं आपको 

,नकारात्मक भी। हारमोन  संतुलन बिगाड़ते हैं। 

न्यूरो -ट्रांस -मीटर्स (जैविक रसायन )को प्रभावित 

करते 

हैं  खाद्य। मिज़ाज़ को भी। पूअर फूड्स मूड स्विंग्स की 

वजह बन सकते हैं। दीर्घावधि में मोटापा ,मधुमेह ,दिल 

के रोगों को न्योता दे सकतें हैं। 

ऐसे में पॉज़िटिव फूड्स का असर भी बेकार हो जाता है। 

भले फिर वह डार्क चॉकलेट हो। संसाधित खाद्य कम 

कीजिये ये भी देखिये इसमें खाद्य  संरक्षी ,स्वादवर्धक 

,ट्रांसफैट ,कृत्रिम मीठा ,खाने वाले रंगों में से किसी की 

भी भरमार न हो। 

ईटिंग राइट बचावी चिकित्सा है ८० % रोगों की एक 

अमरीकी अध्ययन के यही संकेत हैं। फ्रिज में ताज़ा 

सामिग्री रखिये बासा भोजन नहीं। 

अपने हाथ से तैयार किए स्नेक्स साथ ले जाइये। भुने 

हुए चने गुड़ साथ में रखिये। बारहमासी खीरा और 

निम्बू भी। मुरमुरे लाकर करी पत्ता और हल्दी लगाकर 

थोड़े से तेल में भून लीजिये। साथ में ले जाइये दफतर। 






Frozen skeletons

Is your refrigerator packed with fresh fruits or leftovers from last week? We peep inside the fridge of three professionals to see what's growing... err cooking.

The next time someone calls you a pumpkin, take it as a compliment. The muscleman of the vegetable world is a rich source of zinc and vitamin E, working as an antioxidant that helps you fight diseases. The mango is not doing too badly either. It pumps you with vitamin A and C, lowering cholesterol, and gifting you clear skin. 

What you eat not only decides how healthy you stay but also defines your behaviour and personality, says nutritional therapist Rachna Chhachhi. The difference between someone who gives you a cheerful smile and the perennial sulk can be traced to their dinner plate. "The human body is a wonderful laboratory where chemical reactions take place depending on what's been eaten. Feed your body foods that regulate hormones (good fats, fibre), supply it brain foods (zinc, selenium, peanuts, fish) and you are bound to feel light and energetic," says Chhachhi. Such people are likely to harbour a more positive outlook, too. On the other hand, eating processed foods leads to lethargy, and store-bought foods loaded with sugar kick in hormonal imbalances. 

The Brazilian Journal of Medical and Biological Research reports that foods directly influence brain neurotransmitter systems which have the greatest effect on our mood; at least, temporarily. However, a Pennsylvania State University study found that eating poorly not only worsens mood, comfort foods (like chocolate) that are thought to 'uplift' have no positive effects in such cases. 

But what all diet experts will agree on is that clean or minimally processed food that's free of additives, colouring, flavouring and sweeteners, is the first step to eating right. "Most people get this wrong," says Chhachhi. "The immediate effect of a poor diet can be subtle like a mood swing or extreme like palpitations. Long term effects include obesity, diabetes and heart-related risks." 

According to a recent American study, eating well is part of the formula that can reduce our risk of succumbing to a chronic disease by 80 per cent. Food even reaches our innermost beings to improve the health of our genes. 


Nutritionist Niti Desai's Hughes Road clinic sees a spate of patients keen for a personalised diet plan. "But they find it difficult to stick to because a quicker, more convenient option is always available. I encourage them to keep a healthy snack handy in their bags to avoid junk food temptation," she says. 

If what you eat will end up defining your mental and physical wellbeing and social interactions too, unhealthy eaters risk the chance of having the personality of an oily wafer. 

Mirror gets 3 young Mumbaikars to take the fridge test and find their edible equivalent. 

Frozen skeletons


2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (07-12-2013) को "याद आती है माँ" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1454 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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