शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

.. तो वाकई में बदल जाएगी तस्वीर


नौकरशाह से राजनीति में आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिविन्द केजरीवाल ने सदगी का तराना क्या छेड़ा, सारा देश उनका दीवाना हो चला। सच में अगर यह मिशन कारगर रहा तो देश की तस्वीर वाकई में बदल जाएगी। नेताओं की सुरक्षा और तामझाम के नाम पर होने वाला अरबों रुपए का सरकारी व्यय रुक जाएगा। इस धनराशि का उपयोग देश के विकास में किया जा सकेगा। बिजली, चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर व्यापक काम किए जा सकेंगे। हम आपका ध्यानाकर्षण पिछले एक पखवारे की गतिविधियों की ओर करना चाह रहे हैं। 28 दिसंबर 2013 को अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसी दौरान उन्होंने दिल्ली से लालबत्ती कल्चर को खत्म करने के लिए किसी भी मंत्री (खुद भी शामिल) को लालबत्ती का इस्तेमाल न करने को कहा। इसके बाद देश के कोने-कोने से लालबत्ती का इस्तेमाल न करने वालों की तादात बढ़ने लगी। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश निशंक पोखरियाल ने लालबत्ती लगी गाड़ी पर न चलने की घोषणा कर दी। छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह बाबा ने लालबत्ती लगी गाड़ी पर चलने से इनकार कर दिया। अरविन्द केजरीवाल ने सुरक्षा लेने से इनकार किया तो इसका भी असर देखने को मिला। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी सुरक्षा घटा दी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने सभी मंत्रियों को सख्त निर्देश दिया है कि कोई भी मंत्री अपने साथ पुलिस स्कोर्ट लेकर न चले। राजस्थान में सरकारी विभागों की कोई बैठक या फिर सेमिनार पांच सितारा होटलों में नहीं होगी। समीक्षा बैठकें होटलों में नहीं होंगेी। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश  अमिताभ राय ने भी आम आदमी की तरह कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। अब उनकी गाड़ी के आगे पीछे कोई पुलिस स्कोर्ट नहीं चलेगी। जरा आप सोंचे, देश के नेताओं, वीआईपी परिवारों, न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारिायों की सुरक्षा में लगे पुलिस के जवानों पर कितना रुपया खर्च किया जा रहा है। अगर इस पर विराम लग जाए तो देश का अरबों रुपया बच जाएगा, जिसका इस्तेमाल देश के विकास कार्यों में किया जा सकेगा। देश के हर राज्यों के मुख्यमंत्री अगर सुरक्षा कम कर दें, अपने यहां के मंत्रियों को पुलिस स्कोर्ट न दें तो कितनी धनराशि बचेगी, खुद आप सोच सकते हैं। इसका दूसरा असर वीआईपी कल्चर खत्म होने के रुप में दिखेगा। अगर हम अपने अतीत पर नजर डालें तो देश को स्वाधीनता की राह दिखाने वाले महात्मा गांधी ने भी सादगी को ही अपना हथियार बनाया था। उनके पास कोई हथियार नहीं था, कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। बावजूद इसके भी अपने बूटों की धमक पर भारत को गुलाम बनाने वाले अग्रेंज उनसे डरा करते थो। उनकी सादगी से अग्रेंजी हुकूम भयभीत रहा करती थी। आज कुछ ऐसा माहौल फिर बनने लगा है। हम यह नहीं कह सकते कि आने वाले दिनों में इसका कितना असर पड़ेगा और कौन, कितने समय तक अपनी बातों पर खरा उतर सकेगा? पर इतना जरूर है कि अगर एक कदम भी देश के नेता इस दिशा में आगे बढ़े तो वाकई में देश की तस्वीर बदल जाएगी।
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-छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सबसे पहले हेल्पलाइन नंबर जारी किया। इस नंबर पर भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत की जा सकेगी।
-केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने अरविन्द केजरीवाल के निर्णयों की सराहना की और कांग्रेसियों  को इससे सीख लेने को कहा।
-पूर्व मुख्यमंत्रियों की गाड़ी से लालबत्ती हटाए जाने की मांग उठी।
-संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा नेताओं को आम आदमी पार्टी की नीतियों से सीख लेने की नसीहत दी।
-देश के सभी राज्यों से भ्रष्टाचार के विरोध में आवास मुखर होने लगी।

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