मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

खुद दीवालों पर टंगे होवोगे===पथिकअनजाना==482 वीं पोस्ट



कहते क्यों हो कि इस जग में तुम बहुत गरीब हो
राह तकता  कल्पित खुदा,,अकल्पित बडे काम में
नही देखता कितने गरीब हो वो मदद को तैयार हैं
शर्तिया काम कराने वाले खुदा को अमीरों से मिलाते
विवश करते पर वो निश्छलियों में समाना चाहता हैं
विवश खुदा, तुम क्यों अमीरों में मशहूर होना चाहते
देखो खो न जावे कही प्रकृति की लुभावनी आड में
नही दुनियायी हलचलों में ,खेलता तुम्हारी रगों में
आत्मा की खिडकी से निश्छल हो देखो पास पावोगे 
मगर रहे ध्यान यह राह किसी को न तुम बताना
पाया कोहनूर खोवोगे खुद दीवालों पर टंगे होवोगे
पथिक अनजाना



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें