गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

किताबों के बोझ तले---पथिकअनजाना—499 वीं पोस्ट




     किताबों के बोझ तले---पथिकअनजाना—499 वीं पोस्ट
 उन्हें क्या मालुम हैं कि वे किताबों के बोझ तले सांस लेंगें
तलाश नौकरी की करेगें साहब गुलामों के मध्य पिसे जावेंगें
नाजोनखरे पत्नी के उठायें परवरिश करें बच्चों सपने संजोवेंगें
अगली पीढी की बाट जोहेंगें बेबस हो सांसों का बोझ  ढोयेंगें
बेखबर वे यह कि जीवन मृत्यु के मध्य भयावह अन्तराल हैं
हर पल जिन्दगी सवाल ,कशमकश व वक्त में फंसा बेहाल हैं
पथिक अनजाना





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