मंगलवार, 4 मार्च 2014

पुरूष की मूंछ----पथिक अनजाना---505 वीं पोस्ट




          पुरूष की मूंछ----पथिक अनजाना---505 वीं पोस्ट
       परिवर्तन  परिवर्तन  परिवर्तन चारों  ओर ही
       ग्रामों नगरों व्यवहारों विचारों व बाजारों में देखा
       न रही अछूती नीति इंसानी काया रखरखाव की
       शायद पहले ध्यान नही गया जो अब दिखता हैं
       सुना पढा भारतीय पुरूष मूंछ प्रसिद्ध होती थी
       यह भी सुना इंसानी काया से पूंछ गायब हुई थी
       पुरूष की मूंछ का इक बाल बेशकीमती होता था
       रहम मेरे खुदा अब तो पुरूष की मूंछ खो गई
       ज्यों संख्या मूंछहीन पुरूषों की बढती जाती हैं
       शुक्र  खुदा का नारियाँ पर मूंछ बढती जाती हैं
       गिरवी रखने को नही गृह में गिरवी हो रहे हो
       हीनता व समस्या ग्रसित हो शान्ति खो रहे हो
       नवीन युग के उदित सूर्य कांतिहीन हो रहे हो

         पथिक अनजाना

1 टिप्पणी: