मंगलवार, 18 मार्च 2014

सच्चाई खो गये—पथिकअनजाना—519 वीं पोस्ट




मैंने यह देखा हैं कि इस दुनिया में जो भी कहता हैं
मैं झूठ नही बोलता शायद सर्वाधिक झूठा होता  है
मैंने पाया कि इस दुनिया में जो दिखाता स्वंय को
धार्मिक संयमी तो मानें वह सर्वाधिक पाखण्डी ही है
मैंने पाया कि इस दुनिया में जो लगता कुछ उदण्डी
शैतान वह प्रायः दयालु कोमल हृदयी पाया जाता हैं
मैंने यह सुना हैं कि इस दुनिया में जो दर्शावे प्राय
परोपकारी वो चाटुकारिता नाम प्रसिद्धिप्रिय होता हैं
मैंने यह देखा हैं कि इस दुनिया मे जो दिखता शांत
जनहितकारी वह कामुकश्री तिजोरी प्रिय होता हैं
मिले जो लोग देख तहों को जानाध्यान कहाँ होता हैं
भ्रम इतने इंसानी चेहरों के हो गये सच्चाई खो गये
खोजा पाया सच्चा न कहता न दिखाता चलता राह है
न चाहे वह पद,मान ध्यान ज्ञान मानो सोया जहाँ हैं
जब जहाँ जागता वो जागता हुआ सोया खोया कहाँ हैं
पथिक अनजाना


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