सोमवार, 14 अप्रैल 2014

कहते लोग मिले हैं—पथिकअनजाना—582 वीं पोस्ट



कहते लोग मिले हैंपथिकअनजाना—582 वीं पोस्ट
http://pathic64.blogspot.com
मितभाषी क्षमाकर्ता जमीन पर
वो एक सुखद महकते संस्कारी
परिवार के बागवां कहलाते हैं
स्वहित त्यागने मे समर्थ होते
हम सब आदर्श मानवीय बस्ती
के संयोजक नाम से दर्ज होते
वारिस अनेकों खुशियाँ पा जाते
अमर होती सदभावना की बहार
कहते लोग मिले हैं दो समझदार
पथिक अनजाना



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें