मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

प्रश्न गुरू का—पथिकअनजाना



goggle plus –Pathic Aanjana
चर्चा का चुगौना
 आज का विषय कुछ गंभीर हैं मगर मेरा उदेश्य किसी के, समूह के
 जनसाधारण के विश्वास या आस्था पर आघात करना नही अपितु
वर्तमानकाल में बिखरे तत्थाकथित राष्ट्रीय या विश्व स्तर ,देश के
भीतर राज्यों से लेकर ग्रामों तक म़ें बिखरे गुरू दरबारों को लेकर
हैं मानता हूं कि कुछ महान हो , मानता हू भारत में पूर्व गुरूजनों
व्दारा अमूल्य धरोहरे, मार्गदर्शन स्वरूप बेशकीमती ज्ञान प्रदान
किया जो कि पूज्यनीय हैं किन्तु यहाँ प्रश्न ज्ञान का नही अपितु
गुरू चयन प्रक्रिया को लेकर हैं मैं पथिक अनजाना चाहता हू कि
वह अमूल्य धरोहरें आत्मसात करते हुये अनावश्यक भटकन से
बचें अपना धन. मन, तन को मद्देनजर रखते हुये उचित गुरू को
पहचानें जो हमे मानव बनाये न कि किसी समूह पहचान में
सीमित करके रख दे काश धर्म जाति की दीवालें न होती यह
इंसान मात्र अपनी आत्मा के निर्देश पर जीवन जीता अब्यास
करके स्वंय को इस योग्य बना लेता कि अपनी आत्मा की
आवाज सुन पाता सारे विवाद खत्म हो जाते---
प्रश्न पहले गुरू का हैं गोबिन्द का बाद में आवेगा
—क्या वह जिसे परिवार, समुदाय कहे उन्हें गुरू माना जावे !
-क्या चन्द चमत्कार , कुछ भाटों की रचनायें, कथाकारों के
लच्छों में फंस किसी को भी गुरु मान लिया जावे!
३- किसी अनहोनी या रब को किराये पर चलाने वालों व्दारा
किसी बताये जा रहे भय रोग कष्ट से भयभीत हो गुरू मान लें?
माना कि भय बिन न होई प्रीति मगर ऐसा भय कैसा जो सब
कुछ दुकानों पर लुटा दे यह भय अपनी खुद की आत्मा का
क्यों नही करते हैं ?
क्या मापदण्ड हैं ? कसौटी का निर्धारक कौन ?
अगला प्रश्न तो अचम्भित करता हैं >>>>>>>
गर गुरू चयन हेतू  परीक्षा भक्त ले तो बतायें बडा कौन ?
गर भक्त की परीक्षा गुरू ले तो लगता मानो सेना की
भर्ती हो रही हैं कौन सा घोडा आंखों पर पट्टी बाँध दौडता हैं?
जब ताउम्र अपने प्रश्न का उत्तर न मिला तब निष्कर्ष निकाला
 पाया तभी से शांति का अनुभव कर रहा हूं उदगारों में दुनिया
 की वास्तविकता  उभार अपेक्षा करता कि मंथन आप भी करेंगें
निष्कर्ष—स्वंय की आत्मा ही गुरू हैं अन्य कोई नही ???
समस्या मात्र यह कि हम अपनी परेशानी बिना कामा, पूर्णविराम
के चिल्लाते रहते जवाब , राह जानने हेतू समय नही ध्यान नही
दे पाते सो आत्मा की धीमी आवाज को सुनने मे असमर्थ रहते
मार्गदर्शन स्वंय निर्णित कर लेते हैं आत्मा की आवाज खो देते हैं
मैं कहाँ गलत हू कृपया अपना अमूल्य सुझाव दें-प्रतीक्षारत
पथिक अनजाना



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