बुधवार, 16 अप्रैल 2014

नरेंद्र मोदी जी के जीवन के बारे में कुछ अनछुए पहलू

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

नरेंद्र मोदी जी के जीवन के बारे में कुछ अनछुए पहलू

मोदी अपने परिवार के साथ महेसाणा जिले के वडनगर में रहा करते थे। तभी एक साधू वडनगर आया। मोदी की मां हीराबा से उस साधू ने बेटों की कुंडली मांगी। हीराबा ने मोदी के साथ उनके बड़े भाई सोमभाई की भी कुंडली दिखाई।
 




साधू ने सोमभाई की कुंडली देखकर कहा... इसका जीवन तो सामान्य ही रहेगा, लेकिन तुम्हारे छोटे बेटे नरेंद्र  का जीवन उथल-पुथल भरा रहेगा। इसकी कुंडली में ऐसा योग है कि यह या तो एक दिन राजा बनेगा या फिर शंकराचार्य की तरह एक महान संत की सिद्धि हासिल करेगा।

इसी बीच मोदी की पूजा-पाठ में भी बहुत रुचि हो गई। वे अधिकतर समय पूजा-पाठ में ही व्यतीत करने लगे तो परिजन को चिंता होने लगी कि कहीं ये सचमुच में ही साधू न बन जाए। मोदी को सभी ने बहुत समझाया, लेकिन उनके दिमाग से साधू बनने की बात निकल ही नहीं रही थी। इसी के चलते परिवार ने मोदी की शादी करवा देने का फैसला लिया। उन्हें लगा कि शादी हो जाने के बाद वह परिवार में व्यस्त हो जाएगा। परिवार ने आनन-फानन में न सिर्फ मोदी की शादी के लिए वधु जशोदाबेन की तलाश कर ली, बल्कि उनके ही गांव जाकर मोदी की शादी भी कर दी। यह वह समय था, जब बड़ों के फैसलों का छोटे विरोध नहीं कर सकते थे और इस समय बाल विवाह प्रचलित था ।
शादी के बाद मोदी ने मैट्रिक की परीक्षा पास की। अब वे बड़े हो चुके थे और परिवार ने तय किया कि अब मोदी की पत्नी को घर बुला लेना चाहिए। अभी तक जशोदाबेन का गौना नहीं हुआ था और वे अपने माता-पिता के साथ ही रहा करती थीं। यह बात सुनते ही मोदी ने न कह दिया और कहा कि उन्हें वैवाहिक जीवन में कोई रुचि नहीं। वे साधू बनना चाहते हैं और इसके लिए हिमालय पर जाने की तैयारी कर रहे हैं।

परिजन मोदी को मनाते रहे, लेकिन मोदी अपनी जिद पर ही अड़े रहे। हालांकि मोदी मां हीराबेन का बहुत सम्मान करते थे। वे उनका आदेश नहीं टाल सकते थे। इसलिए उन्होंने मां से कहा कि मैं तुम्हारी मर्जी और आशीर्वाद के बगैर नहीं जा सकूंगा, लेकिन फिर भी मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मुझे साधू बनना है। मोदी की जिद के आगे खुद मां हीराबा झुक गईं और उन्होंने मोदी को वैवाहिक बंधन से मुक्ति पाने और साधू बनने का आशीर्वाद दे दिया।

क्यों वापस मोदी?

इसके बाद मोदी हिमालय की कंदराओं में जा पहुंचे और साधुओं के साथ रहने लगे। साधुओं के साथ वे ईश्वर की तलाश में दर-दर भटकते रहे। हालांकि उनकी उम्र अब भी बहुत छोटी थी, लेकिन फिर भी वे जीवन के वास्तविक अर्थ की तलाश में निकल पड़े थे। उनकी छोटी सी उम्र को देखते हुए एक साधू ने उन्हें समझाया कि ईश्वर की तलाश समाज की सेवा करके भी की जा सकती है। इसके लिए साधू बने रहने की कोई जरूरत नहीं।

इसके बाद मोदी हिमालय से वडनगर वापस आ गए। लेकिन फिर भी उन्होंने अपना वैवाहिक जीवन शुरू नहीं किया। दरअसल वे अपने घर सिर्फ एक दिन के ही लिए आए थे। परिवार भी अब पूरी तरह समझ चुका था कि मोदी को सांसारिक जीवन में रुचि नहीं। परिजन ने उनकी पत्नी जशोदाबेन के परिजन को भी सूचना दे दी थी कि वे मोदी को वैवाहिक बंधन से मुक्ति दे दें। इसके लिए पूरे परिवार ने जशोदाबेन के परिवार से माफी मांगी। मोदी के परिजन को इस फैसले का दुख था, लेकिन मोदी अपनी जिद पर अडिग थे।

माता को दुख, पिता को अंतिम समय तक रहा रंज :

लेखिका कालिंदी रांदेरी के शब्दों में.. मैं जब मोदी की मां हीराबा से मिली तो उनकी आंखों में आंसू ही थे। उनका कहना था कि मोदी के मर्जी के खिलाफ उनकी शादी कराना जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। हीराबा ने बताया कि मोदी के पिता को तो अंतिम समय तक इस बात का रंज रहा कि उन्होंने जबर्दस्ती मोदी पर शादी थोप दी थी।

मोदी की बारात बैलगाड़ी में गई थी। विवाह के बाद मोदी अपने परिवार के साथ वापस घर आ गए थे। परिवार ने निश्चय किया था कि मोदी की मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद बहू का गौना करवा लिया जाएगा। लेकिन इसके बाद ही मोदी वैवाहिक बंधनों से अपने आपको मुक्त कर हिमालय की कंदराओं में जा पहुंचे। वे हिमालय से वापस आए भी तो सिर्फ एक दिन के लिए ही।

मोदी खुद चाहते थे कि उनकी पुस्तक में उनकी शादी के बारे में लिखा जाए:

सन् 2009 में पत्रकार एमवी कामत के साथ मिलकर ‘नरेंद्र मोदी, द आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न स्टेट’ नामक किताब लिखने वाली कालिंदी रांदेरी बताती हैं कि जब मैंने मोदी से उनकी किताब लिखने के बारे में बात की तो मोदी ने इच्छा जाहिर की थी कि किताब में उनके बचपन के साथ उनकी शादी के बारे में भी लिखा जाए।

कालिंदी बताती हैं कि जब मैंने मोदी से उनकी शादी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इस बारे में आप मेरे बड़े भाई सोमभाई से बात कीजिए। वे आपको इस बारे में विस्तार से पूरी बात बताएंगे। इसके बाद कालिंदी ने सोमभाई से बात की उन्होंने खुलकर पूरी बात बताई और इस तरह यह जानकारी सामने आई ।

कालिंदी बताती हैं कि मोदी का पूरा परिवार उनकी शादी के बारे में खुलकर बात करता है। हालांकि सभी का यही कहना है कि मोदी पर जबर्दस्ती शादी थोपकर परिवार ने बहुत बड़ी गल्ती की थी।

लेखिका कालिंदी रांदेरी की किताब से साभार

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन जन्म दिवस - सर चार्ली चैपलिन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
    प्रत्‍युत्तर दें
  2. इस पोस्ट के लिए हम आपका हृदय से आभार प्रकट करते हैं।

    महादेव हर हर ,

    आज मोदी भाई घर घर।
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं

ये पोस्ट उन तमाम लोगों को समर्पित है जो 


मोदी -जशोदाबेन को निशाने पे लेने की चूक कर 


चुके हैं। 



सन्दर्भ -सामिग्री 


:http://htcedws.blogspot.in/2014/04/blog-

post_15.html?

showComment=1397669238718#c1634

947095733085743









जिन लोगों ने आज तक कभी सच नहीं बोला ऐसे बाज़ीगर 

Jashodaben ModiNarendra Modi



आज नरेंद्र मोदी से जवाबदारी मांग रहें हैं कि उन्होंने आज 





तक अपनी पत्नी का नाम क्यों छिपाया ?ये वही लोग हैं जो 




भाषणों में बालविवाह का विरोध करते हैं लेकिन नरेंद्र भाई 




मोदी ने ससम्मान अपनी किशोरी अल्पवयस्क  पत्नी को 



अब से साढ़े चार दशक पहले भी यह समझाने में कामयाबी 



हासिल की ,उसकी उम्र अभी पढ़ लिखके कुछ बनने की है।



नरेंद्र भाई किशोर ने दो टूक उन्हें समझाया मेरा जीवन 



राष्ट्र 



सेवा के लिए हैं। 



आज वही यशोदाबेन एक सेवा निवृत्त शिक्षिका हैं जो वान-



प्रस्थ जीवन के मायने शेष भारत को समझाने में समर्थ हैं 



अपने तपोबल का पुण्य वह मोदी के खाते में निरंतर डाल 



रहीं हैं ये आज भी अनुसूया का देश है ,पढियेगा  ये 



मुखपृष्ठीय खबर :




Jashodaben ‘on pilgrimage’ 



as media looks for 





her

UNJHA: Away from the world's gaze, she was leading a quiet life as a retired school teacher. But when the spotlight turned to her, Jashodaben Modi, officially accepted by chief minister Narendra Modi, was nowhere to be seen.

As the media rushed to track her down, after Modi's nomination form for the Lok Sabha from Vadodara revealed her name late on Wednesday night, Jashodaben did a vanishing act. Perhaps anticipating the media glare, she was whisked away to an undisclosed location by family members — some said she had left on a 'char dham' pilgrimage with a congregation of 40 women.

The 62-year-old wife of BJP's prime ministerial candidate had confessed to her colleagues upon her retirement some years back that though she did not expect anything from her husband, she at least wanted him to acknowledge her once as his wife. In fact, close relatives said she had given up eating rice for some months now as a penance to see Modi as PM.

"Her prayers have been answered as Narendrabhai has publicly accepted her as his wife. We are very happy. We all pray for him to become PM," said Kamlesh Modi, Jashoda's elder brother who runs a grocery shop in Unjha. Kamlesh said that Jashoda never considered re-marrying after Modi left her 45 years back to become an RSS pracharak. She gave up wearing footwear for four months seeking PM candidature for her husband and now is on a once-a-day diet to see her wish fulfilled.

Jashoda divides her time staying with brothers Kamlesh in Unjha and Ashok in Brahmanwada, her ancestral village 32km from Modi's hometown Vadnagar where Jashoda and Modi were married in 1968 as teenagers. Brahmanwada — which lies to the north of Ahmedabad and isn't far from Unjha — was throbbing with curiosity and pride on Thursday. Her brother Ashok said when the couple first met after marriage, Modi spoke to her about his plans to serve the country and suggested that she pursue her studies and become a teacher. She did precisely that and never complained to anyone about her husband.

Having retired, Jashoda became quite spiritual — she gets up at 4am and prays till 11am. "The village knew her as Narendra Modi's wife but Jashoda never talked about it. She is a simple, nice and deeply religious person," said Pravin Vyas, an ex-colleague.

In the Modi family too, Jashoda is held in high regard as she accepted her life without any fuss. "Jashoda would read and watch every bit of news about Narenbhai. Despite being abandoned, Jashoda never spoke ill of him. That is a true Indian woman for you," said Vasanti, the chief minister's sister.




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