मंगलवार, 13 मई 2014

बाक्सआफिस पर है फ्लाप—पथिकअनजाना-600वीं पोस्ट



वानप्रस्थ की न सोचिये राजप्रस्थ की राह खोजिये
युग इस आयु में राजप्रस्थ का मूलनाम श्वानप्रस्थ
वानप्रस्थ में त्यागते माया-मोह यहाँ पीछे भागते हैं
रहनुमां श्वानप्रस्थ में धारते मुस्कान छिपी हैं भ्रुकुटि
वान- श्वानप्रस्थ न हो नसीब तो ब्लागजग में आयें
यह यारों की महफिल व दिलजलों का इन्द्रप्रस्थ हैं
बसती शोधकर्ताओ की न जाँच आयोगों की तलवार
लोगों ने गंगा मैली की तो गंगा ने पाप धोने त्यागे
खुदा मेटरनिटी लीव पर प्रकृति के दरबारी हुये आगे
अफसोस खुदा को रचना बाक्सआफिस पर है फ्लाप
सिक्के व पाप न सजाइये गुजरे उम्र शांति से सोचिये
------------------राजप्रस्थ की राह ? ? ? खोजिये

पथिक अनजाना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें