♥कुछ शब्द♥: ऐ ख़ुदा अब तूं ही बता: जाने कबसे तरस रहें थे देखने को तेरी सूरत नैनों से आज अश्क बह निकलें देख तेरी मूरत जितने क़रीब थे हम उससे ज्यादा दूर हुए वक़्त के हाथों देख...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। -- आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-06-2014) को "यह किसका प्रेम है बोलो" (चर्चा मंच-1638) पर भी होगी! -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-06-2014) को "यह किसका प्रेम है बोलो" (चर्चा मंच-1638) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक