बुधवार, 20 अगस्त 2014

चन्द माहिया : क़िस्त 06



   :1:

ख़ुद से कुछ कहता है
तनहाई में दिल
क्या बातें करता है ?

   :2:

इक दिन तो हमें जाना
आज नहीं तो कल
फिर लौट के कब आना

   :3:

तुमको नहीं आना है
आस रही फिर भी
जीने का बहाना है

   :4:

कुछ दर्द हैं जीवन के
कह देते हैं सब
दो आँसू विरहन के

   :5:

ख़ंज़र से न गोली से
नफ़रत मर जाती
इक प्यार की बोली से

-आनन्द.पाठक-
09413395592

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (21-08-2014) को "लेखक बनाने की मशीन" (चर्चा मंच 1712) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. खम्जर से ना गोली से,नफरत मर जाती है प्यार की बोली से---
    अच्छा लगा पढ कर.

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  3. आ0 शास्त्री जी/मन के मनके जी[कोई नाम होता तो अच्छा होता]

    आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
    सादर

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