सोमवार, 13 अक्टूबर 2014
रंग-ए-जिंदगानी: कविता के लिए कविता
रंग-ए-जिंदगानी: कविता के लिए कविता
: हाँ आज याद आ रहीं हैं कविता बहुत दिल दुखा रहीं हैं कविता । ये वो कविता नहीं जिसे मैंने कभी पढ़ा हो,या रचा हो यह वो कविता हैं ...
1 टिप्पणी:
Asha Joglekar
14 अक्टूबर 2014 को 12:37 am बजे
कुछ अधूरी सी लगी ये कविता।
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कुछ अधूरी सी लगी ये कविता।
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