शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

छलावा



आप जानते हैं
चाँद चमकता क्यों है
क्यों की सूरज की किरणे
उस पर पड़ती हैं
जितने हिस्से पर पडें
उतना ही चमकता है
तभी तो कभी पूरा
तो कभी आधा
दिखता है

चाँद की चांदनी झूठी है
छलावा है
चाँद तो खुद एक काला पहाड़ सा है
ये तो सूरज की चाल है
जो धूप को चांदनी बना कर
सब का दिल बहलाता है
ना जाने कितने आशिकों ने
अपने महबूब को 
चाँद सा चेहरा कह डाला
उन्हें क्या पता
कि चाँद का मुहँ है काला

चकोरी को क्या पता
इस चांदनी की सच्चाई का
वर्ना क्या पूर्णिमा की रात में ऐसा होता

फिर जिंदगी भी तो एक भरम ही है
जो हम देखते हैं
वोह होता नहीं
जो होता है
वोह हमें दिखता नहीं

दिल को बहला रहने दो
चाहे भरम में ही सही
सच क्या है
किसे पता

चाँद की सचाई को
अगर समझ गए हो तो 
छिपा के रखो
भरम को भरम ही रखो  

......मोहन सेठी 

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी ये रचना चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चा हेतू 18 अक्टूबर को प्रस्तुत की जाएगी। आप भी आइए।
    स्वयं शून्य

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  2. येही तो बात है मन की मानने की ... नहीं तो पत्थर भी भगवान् कहाँ ...

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    1. जी बिलकुल सही है पत्थर में वोही दिखता है जो हम देखना चाहते हैं ...धन्यवाद्

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