रविवार, 4 जनवरी 2015

विरह के तम........

विरह के तम में जीते हैं
उम्मीद की किरणे हैं कम
इन गहरे ठंडाये कोहरों ने
आसमान को घेर
सूर्य की मित्रता का
हल्का दिया है रंग
सूर्ये के मजबूत इरादों को भी
मजबूरी का सबक सिखा
दिखलाया एक नितान्त ढंग
"इंतज़ार" कर इंतज़ार कुछ और अभी
एक दिन इन कोहरों को
सूर्ये नहीं तो
मार भगायेगा
नयी ऋतुओं का क्रम

                   ........इंतज़ार

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