मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

रंग-ए-जिंदगानी: दो शब्द दिल की कलम से

रंग-ए-जिंदगानी: दो शब्द दिल की कलम से: आज बहुत कोशिश करने पर भी कुछ नहीं लिख पाया। शायद अब लिखने के लिए बहुत कुछ हैं, बहुत कुछ में जो कुछ था लिखने के लिए वहीं कहीं खो गया हैं...

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