मंगलवार, 17 मार्च 2015

नागिन के तो दो ही फ़न ,नारी के फ़न बीस ,

पर नारी पैनी छुरी ,मति कोई लावो अंग ,

रावण के दस सिर  गये ,पर नारी के संग।

Other's wife is a sharp -edged dagger,

So no one ought to embrace her ;

Ravana lost all his ten heads

While with wife of the other .



पर नारी पर सुंदरी ,बिरला बंचै कोई ,

खाता मीठी खांड़ सी ,अंति काल विष होई।

Rare it is to escape from charms

Of other's beautiful woman ,

while eating she is sweet like molasses ,

But at last turns into poison .


छोटी मोटी कामिनी ,सब ही विष की बेल ,

बैरी सारे दाव दै ,वह मारे हंसि  खेल। .


The aphrodisian ,high or low ,

All are a venomous creeper ,

The foe uses all his tactics ,

But she kills in playful laughter .

नागिन के तो दो ही फ़न ,नारी के फ़न  बीस ,

जाको डस्यो  न फिरि जिये ,मरी है बिस्वा बीस।

A  she -snake has only two fangs,

While twenty fangs a woman has ,

Those men she stings do not survive ,

And twenty times twenty go dead .

नारी की झाँई परत ,अंधा होत भुजंग ,

कबीरा तिनकी का गति ,जिन नित नारी  संग।  

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति । बहुत दिनों के बाद ।

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  2. अच्छी अभिव्यक्ति कहूँ या बुरी पर आज के युग में ऐसा कहना या सोचना उचित नहीं होगा आज की नारी किसी क्षेत्र में किसी भी रूप में कम नहीं है , जरुरी नहीं कि कबीर की कही हर बात पूर्ण रूप से सही ही हो बहुत से लोग मुझसे सहमत नहीं होंगे पर यह अटल सत्य है

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