शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

Laxmirangam: बहु – विवाह

Laxmirangam: बहु – विवाह: बहु – विवाह मंथरा के उकसाने से, कैकेयी ने , पुत्र - निहित स्वार्थ और दशरथ के प्रेम का नाजायज लाभ, उठाकर, राम का वनवास चाहा...

1 टिप्पणी:

  1. हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार (12-04-2015) को "झिलमिल करतीं सूर्य रश्मियाँ.." {चर्चा - 1945} पर भी होगी!
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    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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