शुक्रवार, 1 मई 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 20




:1:
तुम सच से डरते हो
क्या है मजबूरी
दम सच का भरते हो?

:2:

मालूम तो था मंज़िल
राहें भी मालूम
क्यों दिल को लगा मुश्किल

:3:

कहता है जो कहने दो
चैन नहीं दिल को
बेचैन ही रहने दो

;4:

ता उम्र वफ़ा करते
मिलते जो हम से
कुछ हम भी कहा करते

:5:
ये हाथ न छूटेगा
साँस भले छूटे
पर साथ न छूटेगा

-आनन्द.पाठक
09413395592

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