गुरुवार, 13 अगस्त 2015

इसकी हौसला अफ़ज़ाई की जाए।


    
इसकी हौसला अफ़ज़ाई की जाए।
वो युवक  मुझे फोन पर बता रहा था वास्तव में पूछ रहा था -अंकल ये राहुल आजकल क्या पर्ची वरची

लिए घूम रहा है ?मैंने कहा भैया मुझे नहीं मालूम मुझे तो वो खबरची बतलाता रहता है भारत के हाल

और वह आप जानते हो आजकल ज्वरग्रस्त है।

मैंने पूछा क्या हुआ बतलाओ मुझे नहीं मालूम

 युवक बोला अंकल राहुल रोमन लिपि  में लिखी  जो  पर्चियां लिए हए था वह कैमरे में आ गईं जिनमें

से एक पे लिखा था सुषमा को क्या बोलना है इस मुद्दे पर क्या बोलना है उस मुद्दे पर क्या बोलना है। युवक  यहीं नहीं रुका कहने लगा ये तो कंडोलेंस मेसेजिज़

भी

लिख के ले जाता है। एक बार में तीन अक्षरों से ज्यादा नहीं बोलता जैसे इत्ता रुपया सेंक्शन हुआ। मेरी मम्मी ने कहा, वगैरा वगैरा। हमने कहा भैया ये मंदबुद्धि

इतना बोल लेता है इसके लिए ये पुरुस्कृत किया जाना चाहिए। कमसे कम कुछ बोल तो रहा है क्या बोल रहा है वह जान ले तो फिर अल्पमति  कौन कहे।

जैसा बीज वैसा फल ये गुण इसमें आनुवंशिक है। माँ से चला आया है सहज रूप। इसमें इस बालक का क्या दोष। इलेक्ट्रॉनि पत्रकारों को भी इसका मज़ाक नहीं

बनाना चाहिए। इसकी हौसला अफ़ज़ाई की जाए।

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