बुधवार, 30 सितंबर 2015

सिहिर सिहिर हवाएं




सांझ के बाद
हम निकले घूमने खेत ,
चाॅद खिलकर
चाॅदनी बिखेरता,
तारे फलक पर
टिमटिमाटे हुए ,
लहलहाती धान की फसल,
चारो ओर धानी वातावरण ,
झिंगुर की अनवरत आवाजें,
कूदते फांदते हुए
मेंढकों का ट्र्र्ट्र्र्,
और उस समय को
मनभावन बनाती हुई,
मधुर झोंको के साथ
बह रही सिहिर सिहिर हवााएं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें