गुरुवार, 26 नवंबर 2015

गीत "ये धरा राम का धाम है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


रम रहा सब जगह राम है।
ये धरा राम का धाम है।।

सच्चा-सच्चा लगे,
सबसे अच्छा लगे,
कितना प्यारा प्रभू नाम है।
ये धरा राम का धाम है।।

नाम जप लो अभी,
राम भज लो सभी,
लगता कोई नहीं दाम है।
ये धरा राम का धाम है।।

वो खुदा-ईश्वर,
सबको देता है वर,
वो ही रहमान है श्याम है।
ये धरा राम का धाम है।।

वो अजर है अमर,
सब जगह उसका घर,
सबके करता सफल काम है।
ये धरा राम का धाम है।।

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