शनिवार, 21 मई 2016

चन्द माहिया : क़िस्त 33



:1:
जब तुम ने नहीं माना
टूटे रिश्तों को
फिर क्या ढोते जाना

:2:
मुझ को न गवारा है
ख़ामोशी तेरी
आ, दिल ने पुकारा है

:3:
तुम तोड़ गए सपने
ऐसा भी होगा
सोचा ही नहीं हमने

  :4:
क्या वो भी ज़माना था
आँख मिचौली थी
तुम से छुप जाना था

:5:
इक राह अनोखी है
जाना है सब को
पर किसने देखी है

-आनन्द पाठक-
09413395592


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