वे सितारे लग रहे थे
जैसे ईर्दगिर्द
कर रहे हैं चहलकदमी
और मैं
विचरण उनके असीम दुनियॉ में
पंक्षियोें की तरह
किंतु बिना पाखों के
चॉद उतर आया है ऑखों में
या ऑखें उतर आई है चॉद में
एक कवि ही तो है
जो उतार लेता है हर चीज खुद में
और उतर जाता है हर चीज में ।
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