बुधवार, 3 अगस्त 2016

साथ तुम्हारा

    साथ तुम्हारा

कल तक जो किनारे थे,

अब सहारे बन गए है |

विरान थी दुनिया मेरी,

अब खुशियों के नजारे  बन गए हैं


जमाने में  तुम्हारा साथ क्या मिला,

पराए भी हमारे बन गए है |

वक्त की धुप में ,सूखने लगी है,

   अब गम की चादर ,

दुख भी अब सहारे बन गए हैं |

विरह मे छलके थे कभी जो आँसू ,

 अब मिलन मोती बन गए हैं |

जमाने में तुम्हारा साथ क्या मिला,

 पराए भी हमारे बन गए हैं |

                जी. एस. परमार
                      नीमच
               9179236750

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें