शनिवार, 10 सितंबर 2016

एक लघु व्यथा : प्यासा कौआ [रिटर्न]

एक लघु व्यथा : प्यासा कौआ [रिटर्न]

[नोट : आप ने बचपन में ’ प्यासा कौआ’ की कहानी ज़रूर पढ़ी होगी अब पढ़िए उसी कहानी का ’सिक्वल’---’प्यासा कौआ [रिटर्न]


प्यास से व्याकुल कौए ने घडा देखा .घडे में पानी था तो ज़रूर परन्तु पेंदी में था , मुँह से बहुत नीचे था .प्यास बुझाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था .कौआ प्यास से हाल-बेहाल था .अचानक उसके मन में एक विचार कौंधा .फिर क्या था ! पास पड़े कंकडों को एक-एक कर के घडे में डालना शुरू किया.उसका यह सत्प्रयास रंग लाने लगा और घडे का जलस्तरधीरे-धीरे ऊपर उठने लगा.उसका यह परिश्रम सफल होने जा रहा था.वह सोच रहा था कि अब वह अपनी प्यास बुझा लेगा ....वह अब अपनी प्यास...

दूर कहीं केहुनी पर टिका,गांधी टोपी लगाए एक आदमी यह घटनाक्रम बड़े ध्यान व मनोयोग से देख रहा था और कौए के श्रम पर मंद-मंद मुस्करा रहा था.कौए ने जैसे ही जल पीने के लिए अपनी चोंच डुबाई कि उस आदमी ने एक पत्थर उठा कर चला दिया और कौए को भगा दिया .कौआ उड़ गया
.तत्पश्चात वह व्यक्ति बड़े आराम से पानी पीने लगा.लोग कहते हैं कि वह अपने क्षेत्र का बाहुबली था.

उस व्यक्ति की यह विलक्षण प्रतिभा व अद्भुत कार्यशैली देख कर आलाकमान महोदय अति प्रसन्न व प्रभावित हुए. उन्होंने उस व्यक्ति में अपने राजनैतिक उत्तराधिकारी के गुण देखते हुए आगामी चुनाव का टिकट दे दिया .कहने की आवश्यकता नहीं कि वह भारी  मतों से विजयी भी हो गया .
और कौआ?
वह कौआ आज भी डाल पर बैठ कर धूमिल जी की कविता गुनगुना रहा है :-

" एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है ,न खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ
यह तीसरा आदमी कौन है
मेरे देश की संसद मौन है?


इति श्री काक व्रत कथायाम द्वितीयोध्याय
अस्तु.

-आनन्द पाठक- गुड़गाँव
08800927181

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-08-2016) को "हिन्दी का सम्मान" (चर्चा अंक-2463) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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