सोमवार, 8 मई 2017

चन्द माहिए : क़िस्त 38

चन्द माहिया : क़िस्त 38
:1:

 उनका हूँ दीवाना
देख रहें ऐसे
जैसे मैं  बेगाना

:2:
कोरी न चुनरिया है
कैसे मैं आऊँ ?
खाली भी गगरिया है

;3:
कुछ भी तो नही लेती
ख़ुशबू ,गुलशन से
फूलों का पता देती

:4:
दुनिया का मेला है
सब तो अपने ही
दिल फिर भी अकेला है

:5:
मुझको अनजाने में
लोग पढ़ेंगे कल
तेरे अफ़साने में

-आनन्द.पाठक-
08800927181

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-05-2017) को
    संघर्ष सपनों का ... या जिंदगी का; चर्चामंच 2629
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं