बुधवार, 13 सितंबर 2017

चिड़िया: पाषाण

चिड़िया: पाषाण: पाषाण सुना है कभी बोलते, पाषाणों को ? देखा है कभी रोते , पाषाणों को ? कठोरता का अभिशाप, झेलते देखा है ? बदलते मौसमों से, जूझते द...

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (15-09-2017) को
    "शब्द से ख़ामोशी तक" (चर्चा अंक 2728)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हिन्दी दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    उत्तर
    1. क्षमा करें आदरणीय,ये आज देखा । जिस चर्चामंच पर पहुँचने की साध ना जाने कबसे थी, वहाँ पहुँची, अहोभाग्य मेरा ! आपकी अत्यंत आभारी हूँ । सादर नमन ।

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