बुधवार, 16 मई 2018

https://anchalpandey.blogspot.com/2018/05/blog-post_14.ह्त्म्ल

जन्नत सी माँ की गोद
मुक़द्दर भी उसे ठुकराता है
जो माँ को अपनी सताता है
सारे ज़माने की खुशी वो पाता है
जो माँ के गमों को रुलाता है
बरकते ज़िंदगी में उसी को नसीब है
माँ की दुआएँ जिनके रहती करीब है
ये माँ की वजह से ज़िंदगी भी शरीफ़ है
वरना बिन माँ के तो रईसी भी गरीब है
उस खुदा ने भी की है खूबसूरत कारस्तानी
जो ममता को सौपी है जहाँ की बागवानी
ये अश्क नही,है ममता की निशानी
फिक्र में बहता है माँ की आँखों से पानी
यूँ ही नही,माँ तो तक़दीर से मिलती है
नसीबवालों को जन्नत सी माँ की गोद मिलती है
रे बंदे तेरे आगे तो वो खुदा भी बदनसीब है
जन्नत में रह कर भी ना उसे एसी जन्नत मिलती है
जन्नत में रह कर भी ना उसे एसी जन्नत मिलती है

                                             #आँचल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें