आजकल पटाखे फोड़ना ‘दबंग’ संस्कृति वाले लोगों के बीच खुशी का इजहार करने का फैशन बन गया है। शायद उन्हें नहीं पता कि इन पटाखों के फोड़ने से किस कदर प्रदूषण फैल रहा है और हमारी जलवायु जहरीली होती जा रही है। देश की राजधानी दिल्ली में फैले वायु प्रदूषण से शायद हर कोई अवगत हो चुका है फिर भी पटाखों के फोड़े जाने की संस्कृति पर रोक नहीं लग पा रही है। ऐसे में शासन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाये जिससे पर्यावरण में प्रदूषण फैल रहा है। 1 दिसंबर 2018 को छत्तीसगढ़ में शासन ने आदेश जारी किया कि राज्य की राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के छह बड़े शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध एक दिसम्बर से 31 जनवरी 2019 तक दो महीने के लिए जारी रहेगा।प्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग ने वर्ष 2017 में में भी अधिसूचना जारी कर यह प्रतिबंध लगाया था। पर्यावरण विभाग ने वायु प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के तहत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह कदम उठाया है। ठण्ड के मौसम में वायु प्रदूषण को कम करने, नियंत्रित रखने और पर्यावरण को स्वच्छ तथा स्वास्थ्य वर्धक बनाए रखने के लिए पटाखों पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। राजधानी रायपुर के अलावा जिन बड़े शहरों में यह पाबंदी लगाई गई है, उनमें बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग, रायगढ़ और कोरबा भी शामिल हैं। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों के मुताबिक सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य वायु प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित है। हालांकि विभाग द्वारा क्रिसमस और नव वर्ष को ध्यान में रखकर रात्रि 11.55 से 12.30 बजे तक पटाखे फोडे जाने की अनुमति जारी रखने का निर्णय लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने रिट पिटीशन (सिविल) क्रमांक 728/2015 अर्जुन गोपाल विरूद्ध यूनियन आॅफ इंडिया पर आदेश पारित करते हुए पटाखों के उपयोग के संबंध में राज्यों को महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिनमें क्रिसमस और नव वर्ष के अवसर पर रात्रि 11.55 से 12.30 बजे तक पटाखे फोड़े जाने की अनुमति दी गई है। पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों के अनुसार ठण्ड के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर बढता है, इसे निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप बनाये रखने के लिये यह निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ पर्यावरण संक्षण मण्डल द्वारा प्रदूषण की जीरो टॉलरेंस की नीति है और इसलिये प्रदूषण को कम करने के लिये समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। मण्डल द्वारा प्रतिबंध के संबंध में लिया गया यह निर्णय उसी कडी का एक हिस्सा है। पिछले 02 वर्षों से किये जा रहे लगातार प्रयासों के फलस्वरूप रायपुर की प्रदूषण स्तर में काफी सुधार हुआ है और वायु की गुणवत्ता बेहतर हुई है। रायपुर को ग्रीड में बांट कर मॉनिटरिंग की जा रही है जिसके फलस्वरूप रायपुर का प्रदूषण घट कर गुड की श्रेणी में आ गया है। इससे पहले दीपावली के त्यौहार से कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों के उत्पादन एवं बिक्री की अनुमति दी थी। दीपावली पर पटाखे फोड़ने के लिए कोर्ट ने टाइम भी रात 8 से 10 बजे तक का तय किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर विचार करते समय पटाखा उत्पादकों की आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य अधिकार समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि बाजार में केवल मानक डेसीबल ध्वनि सीमा वाले पटाखों की बिक्री को ही अनुमति मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्यों को त्योहारों के दौरान सामुदायिक रूप से पटाखे छोड़े जाने की कोशिशों पर विचार करना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उपाय सुझाने और यह बताने को कहा था कि पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से व्यापक रूप से जनता पर क्या प्रस्ताव पड़ेगा। चिकित्ता विशेषज्ञों के अनुसार पर्यावरण दूषित होने से लोगों में खास कर दमा व हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बेहद परेशानी होती हैं, वहीं वातावरण में धूल व धुएं के रूप में अति सूक्ष्म पदार्थ मुक्त तत्वों का हिस्सा कई दिनों तक मिश्रित रहता है, जिससे आम आदमी का स्वास्थ्य, विशेषकर बच्चों की सेहत बिगड़ने का खतरा रहा है। इसका व्यास 10 माइक्रो मीटर तक होता है। यह नाक के छेद में आसानी से प्रवेश कर जाता है। जो श्वसन प्रणाली, हृदय व फेफड़ों को प्रभावित करता है। पटाखे ध्वनि प्रदूषण भी करते हैं व लोगों के अलावा पशु, पक्षियों, जलजनित जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं। सर्दी के मौसम में कई बार धुंध भी पड़ती है। पटाखों का धुआं इससे नीचे ही रह जाता है। इस धुएं व धुंध मे मिश्रण के कारण कई बीमारियां पैदा होती हैं। शारीरिक परिवर्तन से लेकर सांस फूलना, घबराहट, खांसी, हृदय व फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में संक्रमण, दमा का दौरा, रक्त चाप, गले में संक्रमण हो जाता है। वायु प्रदूषित होने से दिल का दौरा, दमा, एलर्जी, व निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा पटाखों की आवाज से कान का पर्दा फटने व दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना बनी रहती है। इसके अलावा पटाखों से जलने, आंखों की क्षति, अनिद्रा की स्थिति भी बनी रहती है। पटाखों से कई प्रकार की खतरनाक गैस निकल कर वायुमंडल में घुल जाती हैं। कार्बन डाइ आक्साइड पर्यावरण के साथ साथ शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है। ग्लोबल वार्मिंग को भी यह गैस प्रभावित करती है। कार्बन मोनोआक्साइड जहरीली, गंधहीन गैस भी पटाखों से निकलती है, जो हृदय की मांस पेशियों को नुकसान पहुंचाती है। सल्फर डाइआक्साइड ब्रोकाइटिस जैसी सांस की बीमारी पैदा करती है। इससे बलगम व गले की बीमारियां पैदा होती हैं। नाइट्रेट कैंसर जैसी बीमारियां, हाइड्रोजन सल्फाइड मस्तिष्क व दिल को नुकसान व बेरियम आक्साइड आंखों व त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। क्रोमियम गैस सांस की नली में व त्वचा में परेशानी पैदा करती है तथा जीव जंतुओं को नुकसान करती है। प्राय: यह देखा जाता है कि किसी घर में बच्चे के जन्म लेने पर, शादी-विवाह के मौकों पर, चुनाव में जीतने के पश्चात लोगों द्वारा पटाखे फोड़कर खुशियां व्यक्त किया जाता है। खुशी व्यक्त करने के लिए और भी ऐसे तरीके अपनाये जा सकते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे और प्रदूषण में वृद्धि न हो सके। इस दिशा में शासन के साथ आम जनमानस में भी सोच विकसित होने की आवश्यकता है। शासन को सख्त निर्णय लेते हुए ऐसे पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना चाहिये जिससे पदूषण फैलता हो और पर्यवरण को नुकसान पहुंचता हो।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (04-12-2018) को "गिरोहबाज गिरोहबाजी" (चर्चा अंक-3175) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपके द्वारा मिलने वाले स्नेह और प्यार से उत्साह दूना हो जाता है।
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