मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019


मतदातों से एक निवेदन-अगली सरकार मज़बूत सरकार
सबसे पहले यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि यह अपील मज़बूत सरकार चुनने के लिये है, मोदी सरकार चुनने के लिये नहीं. अगर आपको लगता है कि कांग्रेस एक मज़बूत सरकार दे सकती है तो उसे भरपूर बहुमत देकर जितायें. और अगर आप समझते हैं कि बीएसपी, या टीएम्सी या एएपी या कोई अन्य दल या दलों का समूह मज़बूत सरकार दे सकता है तो उस दल/समूह को अपना भरपूर समर्थन दें, कोई कमी न छोड़े.
हर  मतदाता  को यह बात समझनी होगी कि देश को तोड़ने वाली ताकते बहुत चालाकी से अपना काम कर रही हैं. चाहे वह जेएनयू का टुकड़े-टुकड़े गैंग हो या कश्मीर के आतंकवादी या गाँव से लेकर नगरो तक फैले नक्सलवादी या अन्य ऐसे लोग, यह सब अपने मिशन पर पूरी तरह डटे हुए हैं. यह भयंकर लोग हैं. इन्हें देश के भीतर भी समर्थन मिल रहा है और देश के बाहर भी. एक उदाहरण-छोटे से नगर कठुआ में एक घटना घटती है तो रातोंरात उसकी गूँज अमेरिका/युएनओ में सुनाई देती है. ज़रा सोचिये ऐसा कैसे संभव हुआ?
और क्या कोई पड़ोसी देश चाहेगा कि भारत एक शक्तिशाली  देश बन कर उभरे? कदापि नहीं. एक मज़बूत भारत हरेक लिये चुनोती बन सकता है, चीन के लिये भी.
और अगर आप सोचते है कि किसी देश का टूटना किस्से-कहानियों में होता है यथार्थ में नहीं तो ज़रा पिछले तीस वर्ष की ही इतिहास ही  देख लें. क्या सोवियत यूनियन, यूगोस्लाविया, चैकोस्ल्वाकिया विश्व के नक्शे में कहीं दिखते हैं? आप कहेंगे की इन देशों के टूटने के अलग कारण थे, इसलिए हमें चिंतित होने की ज़रूरत नहीं.
कारण कोई भी हों, सत्य तो यह है कि यह देश बिखरे-टूटे. और यह मत भूलिये कि जो कारण जग –जाहिर हैं वही असली कारण हों, ऐसा ज़रूरी नहीं. जो शक्तियाँ दूसरे देशों को तोड़ती हैं वह सदा छिपकर ही वार करती हैं और कभी भी इस बात की जिम्मेवारी या श्रेय नहीं लेती, और ले भी नहीं सकती.
भारत एक अकेला देश है जिसके अधिकाँश भाग पर अलग-अलग समय में अलग-अलग विदेशी लोगों ने हज़ार वर्षों तक हुकुमत की. यह जानने के लिये कि ऐसा क्यों हुआ, हमने कभी कोई चिंतन नहीं किया- न समाज ने, न सरकार ने. शायद हम यह मान बैठे हैं कि ऐसा फिर नहीं हो सकता. पर याद रखें  किसी ने कहा है कि जो लोग अतीत से सीखते नहीं हैं उसे दोहराते रहते हैं.
हमें इतिहास दोहराना नहीं है. इसके लिए आवश्यक है कि हम एक मज़बूत सरकार चुने. जो भी सरकार आप चाहते हैं उसे भरपूर  समर्थन से चुने. आधा-अधुरा समर्थन हम सब के भविष्य को धूमिल ही करेगा.

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-02-2019) को "आलिंगन उपहार" (चर्चा अंक-3246) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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