सोमवार, 4 मार्च 2019


मतदातों से एक निवेदन-अगली सरकार मज़बूत सरकार-3
लेख के पहले दो भागों में मैंने यह तर्क दिया था कि एक मज़बूत सरकार ही देश को सुरक्षित रख सकती है. देश के भीतर-बाहर कई शक्तियाँ इस प्रयास में हैं कि भारत बिखर जाए.
देश बिखरते हैं,  यह एक ऐसा यथार्थ है जिसे हमें कभी भूलना नहीं चाहिये. देश टूटा तो कई नये राजा और सामंत वजूद में आ जायेंगे, लेकिन आम आदमी का जीवन और भी कठिन हो जायेगा. इसका सीधा उदाहरण तो अपना देश ही है. पच्चीस वर्षों में ही भारत, पकिस्तान, बांग्ला देश अस्तित्व में आ गये. पर  तीनों देशों में ही आम आदमी जीने के संघर्ष में लगे हैं.
अगर और बिखराव हुआ, जैसा कि टुकड़े-टुकड़े गैंग चाहता है, तो स्थिति और भी बुरी हो सकती है. जितना बिखराव होगा उतना ही संघर्ष बढ़ेगा.
भारत की पहली मजबूर सरकार चरण सिंह सरकार थी. उसके बाद आई वी पी सिंह की मजबूर सरकार, और फिर चंद्रशेखर, देवे गौड़ा, गुजराल सरकारें. मनमोहन सिंह की सरकार भी मजबूर सरकार ही थी. मनमोहन सिंह को छोड़ कर अन्य मजबूर सरकारें कुछ वर्ष-डेढ़ वर्ष तक ही सत्ता में रहीं.
इन मजबूर सरकारों ने जो निर्णय लिए वह सब राजनितिक मजबूरियों के कारण ही लिये. चरण सिंह सरकार ने सिर्फ वोटरों को लुभाने के लिए निर्णय लिए. वी पी सिंह सरकार ने मंडल कमिशन लागु किया. और उससे भी भयंकर निर्णय था वी पी सिंह का मुफ़्ती को गृह मंत्री बनाना. मुफ़्ती के कार्यकाल में कश्मीर में जिहाद शुरू हुआ, जिसने अब एक उग्र रूप ले लिए है.
अन्य मजबूर सरकारों ने क्या किया उसका तो इतिहास में कोई ज़िक्र ही नहीं होगा.
और एक बात पर ध्यान देने योग्य है. जब तक देश में मज़बूत सरकारें थीं तब तक भ्रष्टाचार बहुत ही सीमित दायरे में था. जीप घोटाला जो 1947 में घटित हुआ वह अस्सी लाख का कॉन्ट्रैक्ट , बोफोर्स में साठ करोड़ रुपये बिचौलिये के दिए गये थे.
मजबूर सरकारें आईं तो जैसे भ्रष्टाचार की एक बाढ़ सी आ गई. घोटाले हज़ारों करोड़ के और फिर लाखों करोड़ के होने लगे. कामनवेल्थ गेम्स में 70000 करोड़ का और 2 जी में 176000 करोड़ का घोटला होने के आरोप हैं. यह धन आम आदमी का है और जिस के लिए उसे हर दिन बारह से बीस घंटे काम करना पड़ता है. जिस आदमी को दो वक्त की रोटी नहीं मिलती, टैक्स उसे भी देना पड़ता है.
और अब तो एक नई स्थिति प्रकट हो रही है. पिछले दिनों में  हमारे कई नेता और मीडिया के लोग पाकिस्तान के चहेते बन गये हैं. उनके मंत्री, सांसद और मीडिया के लोग मोदी सरकार की प्रतिष्ठा पर चोट करने के लिए हमारे लोगों के बयानों का  खूब इस्तेमाल कर रहे हैं.
पाकिस्तान के किसी रक्षा एक्सपर्ट् ने साफ़ कहा कि राहुल गांधी या अरविन्द केजरीवाल के प्रधान मंत्री बनने में ही पाकिस्तान की भलाई है. सत्य यही है कि हमारा हर शत्रु एक कमज़ोर सरकार की कामना कर रहा है.
जब यह लोग एक मजबूर सरकार बनायेंगे तो किस दिशा में जायेंगे इसका अनुमान लगाना भी कठिन है.

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-03-2019) को "पथरीला पथ अपनाया है" (चर्चा अंक-3265) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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