शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

एक व्यंग्य : हुनर सीख लो---

एक व्यंग्य :: हुनर सीख लो ---


-’मेम सा’ब-आज मैं काम पर आने को नी ।महीने भर को गाँव जा री हूं। मेरा हिसाब कर के ’चेक’ गाँव भिजवा देना-’- कामवाली बाई ने अपनी अक्टिवा स्कूटर पर बैठे बैठे ही मोबाईल से फोन किया ।
मेम साहब के पैरों तले ज़मीन खिसक गई -अरे सुन तो ! तू है किधर अभी?’
’मेम साहब ! मैं आप के फ्लैट के नीचे से बोल रही हूँ ।
जब तक श्रीमती जी दौड़ कर बालकनी से देखने आती कि बाई ने अपना स्कूटर स्टार्ट किया और हवा हो गई ।
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’कामवाली गई-लो पकड़ो झाड़ू-पोंछा "- श्रीमती जी ने नीला पीला होते हुए पोंछे की बाल्टी हमें थमा दी।

मैं बाल्टी पकड़े पकड़े सोचने लगा कि एक चाय वाला कैसे प्रधानमन्त्री बन जाता होगा है और एक IIT-रूड़की वाला भारत सरकार का प्रथम श्रेणी का राजपत्रित अधिकारी चीफ़ इंजीनियर कैसे पोंछा लगाता होगा ? स्मृति इरानी जी को स्मरण किया ...अपनी डीग्रियाँ अपना सर्टिफ़िकेट याद किया कि अचानक श्रीमती जी चीखी-’अरे अभी तक यहीं खड़े हो ? शुरू नहीं किया ?सुना नहीं प्रधानमन्त्री जी ने क्या कहा है । डीग्री सर्टिफ़िकेट काम नहीं आयेगा -हुनर काम आयेगा ,हुनर !

झाड़ू-पोंचा करने का हुनर सीख लो ..रिटायर्मेन्ट के बाद काम आयेगा...इस हुनर से कुछ ज़्यादा ही कमा लोगे ।व्यंग्य लेखन... कलम घिसाई से कुछ नहीं होने वाला ...।.

’मम्मी । पापा के आफ़िस का ड्राईवर आ गया’- छोटे बेटे ने आ कर खबर दी ।

’जा ,बोल दे .’वेट’ करे ।सा’ब पोछा लगाने के बाद आफ़िस जायेगा"

’अरे भाग्यवान ! ऐसा मत कहना ,वरना कल वो भी अपनी गाड़ी का चाबी मुझे थमा देगा और बोलेगा –’ड्राईवरी सीख लो साहब -हुनर है हुनर ।बाद में काम आयेगा ।”

-काश मैं भी उस कामवाली बाई के साथ भाग गया होता-

अस्तु

[नोट- वही ’हुनर’ अब ’लाक-डाउन ’ में काम आ रहा है ]

-आनन्द.पाठक-

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-04-2020) को     शब्द-सृजन-18 'किनारा' (चर्चा अंक-3683)    पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत खूब ।
    देर आया पर काम आया ।

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