शनिवार, 27 जून 2020

चन्द माहिया

चन्द माहिया 

1
क्यों फ़िक़्र-ए-क़यामत हो
हुस्न रहे ज़िन्दा
और इश्क़ सलामत हो

2
ऐसे तो नहीं थे तुम
ढूँढ रहा हूँ मैं
जाने न कहाँ हो ग़ुम ?

3
जो तुम से मिला होता
लुट कर भी मुझको
तुम से न गिला होता

4
उनको न पता शायद
याद में उनके हूँ
ख़ुद से ही जुदा शायद

5
आलिम है ,ज्ञानी है
पूछ रहा सब से
क्या इश्क़ के मानी है ?

-आनन्द.पाठक -

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