पंचिक
पट्टी बाँधी राज माता भीष्म हुआ दरकिनार,
द्रौपदी की देखो फिर लज्जा हुई तार तार।
न्याय की वेदियों पर,
चलते बुलडोजर,
शेरों के घरों में जब जन्म लेते हैं सियार।।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
बहुत सुन्दर।हिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।
सुन्दर
सुंदर।
बहुत खूब
बहुत बहुत आभार
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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