बुधवार, 2 सितंबर 2020

हां कल ही ...

 


मैं (सांझ ) ...

तुम्हारे ख़यालो में कहीं  ...

और

ये सूरज ...

पेड़ो की इन्हीं शाखों में 

उलझ कर 

रह गए थे कहीं कल ...


हां...कल!!

गर याद हो तो ...

मैं ( सांझ) और ये  सूरज,

दोनों ही....

घर, देर से लौटे थे !!

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