शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

अनुभूतियाँ 04

 

अनुभूतियाँ 04

 

 01

क़तरा क़तरा दर्द हमारा,

हर क़तरे में एक कहानी ।

शामिल है इसमे दुनिया की

मिलन-विरह की कथा पुरानी ।

 

02

जब से छोड़ गई तुम मुझ को

सूना दिल का  कोना कोना ।

कब तक साथ भला तुम चलती,

आज नहीं तो कल था होना ।

  

03

इतना सितम न ढाओ मुझ पर

टूट गया तो जुड़ न सकूँगा ।

लाख करोगी कोशिश तो भी,

चला गया तो मुड़ न सकूँगा ।

 

 04

फूल-गन्ध का रिश्ता क्या है ?

तुम ने कभी नहीं जाना  है ।

जीवन भर का साथ  हमारा

लेकिन कब तुम ने माना है ।

  

-आनन्द.पाठक-

6 टिप्‍पणियां:

  1. क़तरा क़तरा दर्द हमारा,
    हर क़तरे में एक कहानी ।
    शामिल है इसमे दुनिया की
    मिलन-विरह की कथा पुरानी ।
    ....विशिष्टताओं को समेटे, विरह की नई कथा पर वही व्यथा।
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय आनन्द जी।

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